भारत ने गरीबी उन्मूलन में रचा कीर्तिमान, रोजगार सृजन में भी बनी मिसाल: वर्ल्ड बैंक

World Bank Report: भारत ने 2011 से 2022-23 के बीच 17.1 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, देश की गरीबी दर ऐतिहासिक रूप से घटी है और रोजगार वृद्धि दर अब कार्यशील आबादी से भी अधिक है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों दोनों में सुधार देखने को मिला है, जबकि महिलाओं की भागीदारी और स्वरोजगार में इजाफा हुआ है। भारत अब वैश्विक विकास की मिसाल के रूप में उभर रहा है।

Samvadika Desk
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Highlights
  • भारत ने गरीबी उन्मूलन में दुनिया को पीछे छोड़ दिया।
  • वर्ल्ड बैंक ने भारत की उपलब्धियों को बताया मिसाल।
  • 17 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए – एक ऐतिहासिक छलांग।
  • महिला श्रमिकों और स्वरोजगार में जबरदस्त इजाफा।
  • भारत बना विकासशील देशों के लिए प्रेरणा स्रोत।

नई दिल्ली: भारत ने गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर इतिहास रच दिया है। वर्ल्ड बैंक की ताज़ा रिपोर्ट में भारत की शानदार प्रगति की सराहना की गई है, जिसमें देश ने 17 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाया है। इसके साथ ही, रोजगार के अवसरों में तेज़ी ने कार्यशील उम्र की आबादी की वृद्धि को भी पीछे छोड़ दिया है। यह उपलब्धि भारत को विकासशील देशों के लिए एक मिसाल बनाती है।

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वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2011 से 2022-23 के बीच 17.1 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला है। अत्यधिक गरीबी (Extreme Poverty) को प्रति दिन 2.15 डॉलर से कम खर्च के आधार पर मापा जाता है। इस दौरान भारत में अत्यधिक गरीबी की दर 16.2% से घटकर मात्र 2.3% रह गई। यह प्रगति इतनी उल्लेखनीय है कि भारत अब निम्न-मध्यम आय (Lower-Middle Income) श्रेणी में मज़बूती से खड़ा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गरीबी के आँकड़ों में भी जबरदस्त सुधार देखा गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 18.4% से घटकर 2.8% और शहरी क्षेत्रों में 10.7% से 1.1% हो गई। ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर अब केवल 1.7% रह गया है, जो भारत के समावेशी विकास को दर्शाता है।

रोजगार के क्षेत्र में भी भारत ने शानदार प्रदर्शन किया है। वर्ल्ड बैंक के आँकड़ों (World Bank Report) के मुताबिक, 2021-22 से रोजगार वृद्धि की दर कार्यशील उम्र की आबादी की वृद्धि से अधिक रही है। खासकर शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर 2024-25 की पहली तिमाही में घटकर 6.6% पर आ गई, जो 2017-18 के बाद सबसे निचला स्तर है। महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी (Female Labour Force Participation) और स्वरोजगार (Self-Employment) में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला कृषि श्रमिकों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती दे रही है। हालांकि, युवा बेरोजगारी अभी भी चुनौती बनी हुई है, जो 13.3% पर है। उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं में यह दर 29% तक पहुँच जाती है, जो रोजगार नीतियों के लिए एक चिंता का विषय है।

गरीबी को मापने के अन्य पैमानों पर भी भारत ने उम्दा प्रदर्शन किया है। प्रति दिन 3.65 डॉलर के मापदंड पर गरीबी की दर 61.8% से घटकर 28.1% हो गई, जिसके चलते 37.8 करोड़ लोग इस स्तर से ऊपर उठे। इसके अलावा, बहुआयामी गरीबी (Multidimensional Poverty), जिसमें शिक्षा, पानी, स्वच्छता जैसे पहलू शामिल हैं, 2005-06 के 53.8% से घटकर 2022 में 15.5% पर आ गई। यह प्रगति केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं, जैसे ग्रामीण विकास कार्यक्रम, कौशल प्रशिक्षण, और सामाजिक कल्याण योजनाओं का परिणाम है।

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आर्थिक असमानता में भी कमी आई है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, भारत का Gini Index, जो आय असमानता (Income Inequality) को मापता है, 2011-12 में 28.8 से घटकर 2022-23 में 25.5 हो गया। यह आँकड़ा दर्शाता है कि भारत न केवल गरीबी हटाने में, बल्कि आर्थिक समानता बढ़ाने में भी सफल रहा है। वर्ल्ड बैंक ने भारत की इन उपलब्धियों को वैश्विक मंच पर एक मिसाल बताया है, जो अन्य विकासशील देशों के लिए प्रेरणा बन सकती है।

यह प्रगति भारत के आर्थिक सुधारों, नीतिगत पहलों, और सामाजिक विकास पर केंद्रित दृष्टिकोण का प्रतिफल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस उपलब्धि पर खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि यह भारत की मज़बूत अर्थव्यवस्था और समावेशी नीतियों का सबूत है। वर्ल्ड बैंक की यह रिपोर्ट भारत के लिए गर्व का विषय है, जो वैश्विक स्तर पर देश की साख को और मज़बूत करती है।

हालांकि, चुनौतियाँ अभी बाकी हैं। युवा बेरोजगारी, खासकर शिक्षित युवाओं में, और ग्रामीण-शहरी रोजगार के अवसरों में असमानता जैसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा। भारत की यह यात्रा न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की कहानी है, जो देश को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दे रही है।

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