नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने दावा किया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फोन कॉल पर रोक दिया गया। भोपाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि PM मोदी ने अमेरिकी दबाव में सरेंडर कर दिया, जबकि कांग्रेस कभी सुपरपावर के सामने नहीं झुकती। यह बयान 3 जून 2025 को सुर्खियों में रहा।
ट्रंप के फोन पर सरेंडर का आरोप
भोपाल की सभा में राहुल गांधी ने कहा, “ट्रंप का एक फोन आया और नरेंद्र जी तुरंत सरेंडर हो गए। जैसे ही ट्रंप ने कहा, ‘मोदी जी, क्या कर रहे हो?’ नरेंद्र जी ने ‘जी हजूर’ कहकर ऑपरेशन सिंदूर रोक दिया।” उन्होंने बीजेपी और RSS पर निशाना साधते हुए कहा कि इनका चरित्र हमेशा झुकने का रहा है। राहुल ने 1971 के युद्ध का ज़िक्र किया, जब इंदिरा गांधी ने अमेरिका की सातवीं फ्लीट और धमकियों के बावजूद पाकिस्तान को पराजित किया था। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के बब्बर शेर सुपरपावर से लड़ते हैं, झुकते नहीं।”
RSS और बीजेपी पर तंज
राहुल ने RSS पर भी करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “मैं अब इनका चरित्र अच्छे से जानता हूँ। ज़रा सा दबाव डालो, ये डरकर भाग जाते हैं। आज़ादी के समय से इनकी सरेंडर की चिट्ठी लिखने की आदत है।” उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, और सरदार पटेल का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास बलिदान और साहस का है। राहुल ने दावा किया कि उनकी पार्टी दबाव में नहीं आती और हमेशा देशहित में फैसले लेती है।
1971 युद्ध का ज़िक्र
राहुल ने 1971 के भारत-पाक युद्ध को याद करते हुए कहा, “जब अमेरिका ने सातवीं फ्लीट भेजी, हथियार और एयरक्राफ्ट कैरियर आए, तब इंदिरा गांधी ने कहा, ‘मुझे जो करना है, मैं करूँगी।’ यही फर्क है।” उन्होंने इस ऐतिहासिक घटना के ज़रिए कांग्रेस की दृढ़ता और बीजेपी की कथित कमज़ोरी को उजागर करने की कोशिश की। राहुल का यह बयान कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरने और विपक्ष की आवाज़ बुलंद करने का प्रयास माना जा रहा है।
सियासी गलियारों में हलचल
राहुल गांधी के इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके आरोपों ने बीजेपी और कांग्रेस के बीच तनातनी बढ़ा दी है। बीजेपी ने अभी तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही जवाबी हमला हो सकता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ट्रंप के कथित दबाव को लेकर उठे सवालों ने सरकार की विदेश नीति पर भी चर्चा छेड़ दी है।