देवेंद्र सिंह की जासूसी की सनसनीखेज कहानी: ISI के हनी ट्रैप में फँसा, भारत की खुफिया सूचनाएँ लीक; एक गलती ने खोला राज

Patiala News: पंजाब के पटियाला से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एमए छात्र देवेंद्र सिंह पाकिस्तान की ISI के हनी ट्रैप में फँसकर भारत की संवेदनशील सैन्य जानकारी लीक कर रहा था। करतारपुर यात्रा के दौरान वह एजेंटों के संपर्क में आया और सोशल मीडिया के ज़रिए जासूसी में उलझता गया। एक फेसबुक पोस्ट ने उसकी पोल खोल दी, जिसके बाद वह गिरफ्तार हुआ।

Samvadika Desk
7 Min Read
देवेन्द्र सिंह।
Highlights
  • ISI के हनी ट्रैप में फँसा पंजाब यूनिवर्सिटी का छात्र देवेन्द्र सिंह!
  • फेसबुक पोस्ट से हुआ खुलासा, पुलिस ने दबोचा!
  • मोबाइल से डाटा डिलीट करने की नाकाम कोशिश!
  • देवेंद्र पहले से था सुरक्षा एजेंसियों की नजर में!

पटियाला, पंजाब: पंजाब के पटियाला जिले का 24 वर्षीय छात्र देवेंद्र सिंह देश का दुश्मन बन गया, जब वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के हनी ट्रैप (Honey Trap) में फँसकर भारत की गोपनीय सैन्य सूचनाएँ लीक करने लगा। पंजाब विश्वविद्यालय में एमए (राजनीति शास्त्र) की पढ़ाई कर रहे देवेंद्र को स्पेशल डिटेक्टिव यूनिट ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया। 2024 में करतारपुर कॉरिडोर के जरिए पाकिस्तान यात्रा के दौरान वह ISI एजेंटों के संपर्क में आया। एक फेसबुक पोस्ट ने उसकी गतिविधियों पर पुलिस की नजर डाली, और अब उसका जासूसी का खेल खत्म हो गया। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के लिए गंभीर खतरे का संकेत देता है।

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देवेंद्र सिंह का परिचय और पारिवारिक पृष्ठभूमि

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देवेंद्र सिंह पटियाला के मस्तगढ़ गाँव का रहने वाला है और पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला में एमए (राजनीति शास्त्र) का छात्र है। उसने विश्वविद्यालय के पास एक किराए का कमरा ले रखा था, जहाँ वह सप्ताह में पाँच दिन रहता था। बाकी दो दिन वह अपने गाँव लौटता था। उसके परिवार में चार सदस्य हैं—पिता, जो खेती करते हैं, माँ, जो गृहिणी हैं, और एक छोटी बहन, जो 12वीं कक्षा में पढ़ती है। पुलिस जाँच के अनुसार, मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले देवेंद्र का पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। लेकिन उसकी एक सोशल मीडिया पोस्ट ने उसे जासूसी के गंभीर आरोपों में फँसा दिया।

करतारपुर यात्रा और ISI का जाल

देवेंद्र नवंबर 2024 में सिख श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) के जरिए पाकिस्तान गया था। उसने करतारपुर साहिब, ननकाना साहिब, और लाहौर के धार्मिक स्थलों का दौरा किया। इसी दौरान वह ISI के एजेंटों के संपर्क में आया। पुलिस जाँच में पता चला कि देवेंद्र पाँच से अधिक पाकिस्तानी एजेंटों से जुड़ा था। इनमें से एक पाकिस्तानी युवती थी, जिसने फेसबुक के जरिए उससे दोस्ती की। यह दोस्ती जल्द ही हनी ट्रैप में बदल गई, और देवेंद्र ने पटियाला के सैन्य क्षेत्र की तस्वीरें खींचकर ISI एजेंटों को भेज दीं। इन तस्वीरों में संवेदनशील सैन्य जानकारी (Sensitive Military Information) शामिल थी।

सोशल मीडिया पोस्ट ने खोला राज

देवेंद्र की जासूसी का खेल तब सामने आया, जब उसने 11 मई 2025 को अपनी फेसबुक आईडी पर गाँव के मालक सिंह के हथियारों के साथ तस्वीरें अपलोड कीं। गुप्तचर यूनिट के हेड कांस्टेबल कुलदीप सिंह को इसकी सूचना मिली, और जाँच में पता चला कि देवेंद्र के पास कोई लाइसेंसी हथियार नहीं था। उसने सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें डालकर भय का माहौल बनाने की कोशिश की, जो भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच संदिग्ध था। इस पोस्ट ने पुलिस का ध्यान खींचा, और जाँच के दौरान उसकी ISI से लिंक की पुष्टि हुई। पुलिस को शक था कि वह पहले से निगरानी में था, और इस पोस्ट ने उसे पकड़ने का मौका दे दिया।

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डाटा डिलीट करने की कोशिश, पुलिस जाँच जारी

पुलिस को गाँव में जाँच की भनक लगने पर देवेंद्र ने अपने मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल डिवाइस से सारा डाटा डिलीट कर दिया। लेकिन पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट अब डाटा रिकवर करने में जुटी है। पुलिस ने उसके मोबाइल और डिवाइस कब्जे में ले लिए हैं। कैथल की एसपी आस्था मोदी ने बताया कि देवेंद्र के अन्य सहयोगियों की पहचान की जा रही है, और उसके परिजनों से भी पूछताछ होगी। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि देवेंद्र ने और कौन सी सूचनाएँ लीक कीं, और उसका नेटवर्क कितना बड़ा था।

ISI का हनी ट्रैप: सोशल मीडिया पर जाल

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने सोशल मीडिया पर हनी ट्रैप का जाल बिछा रखा है, जिसका शिकार देवेंद्र जैसे कई भारतीय युवा बन चुके हैं। ISI के एजेंट फर्जी नामों और खूबसूरत लड़कियों की तस्वीरों से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अकाउंट बनाते हैं। ये एजेंट संभावित शिकार को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं और बातचीत के जरिए उन्हें जासूसी के लिए तैयार करते हैं। देवेंद्र को भी एक पाकिस्तानी युवती ने फेसबुक पर फँसाया। पुलिस के अनुसार, वह नियमित रूप से तस्वीरें और मैसेज के जरिए उससे संपर्क में थी।

पहले भी फँस चुके हैं कई लोग

देवेंद्र का मामला कोई पहला नहीं है। दो महीने पहले आगरा के रविंद्र सिंह, जो फिरोजाबाद आयुध निर्माण फैक्टरी में कर्मचारी थे, ISI के हनी ट्रैप में फँसे थे। एक पाकिस्तानी एजेंट ने ‘नेहा शर्मा’ के नाम से फेसबुक पर उनसे दोस्ती की और रोज तस्वीरें व 25 मैसेज भेजकर जासूसी के लिए उकसाया। तीन साल पहले विदेश मंत्रालय में ड्राइवर के रूप में काम करने वाला एक युवक भी ISI का एजेंट बन गया था। DRDO और अन्य सरकारी कर्मचारी भी इस जाल में फँस चुके हैं। खुफिया एजेंसियाँ कई बार सैन्य कर्मचारियों को ऐसे हनी ट्रैप से सावधान रहने की चेतावनी दे चुकी हैं।

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सामाजिक और राष्ट्रीय प्रभाव

देवेंद्र सिंह की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया के खतरों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एक सामान्य मध्यमवर्गीय छात्र का ISI के जाल में फँसना यह दर्शाता है कि पाकिस्तानी एजेंसियाँ युवाओं को आसानी से निशाना बना रही हैं। पटियाला और कैथल के लोग इस खुलासे से हैरान हैं और माँग कर रहे हैं कि देवेंद्र और उसके सहयोगियों को कड़ी सजा दी जाए। यह घटना सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती के जोखिम को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं को सोशल मीडिया पर सावधानी बरतने और संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी तुरंत पुलिस को देने की जरूरत है।

समाज में हलचल और अनुत्तरित सवाल

देवेंद्र की जासूसी की कहानी पंजाब में चर्चा का विषय बनी हुई है। लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एक पढ़ा-लिखा छात्र, जो राजनीति शास्त्र की पढ़ाई कर रहा था, ISI के जाल में कैसे फँस गया। क्या उसे आर्थिक प्रलोभन दिया गया था? क्या हनी ट्रैप ने उसे भावनात्मक रूप से बाँध लिया था? या फिर सोशल मीडिया की लत ने उसे गलत रास्ते पर धकेल दिया? ये सवाल पुलिस जाँच के बाद ही सुलझ सकते हैं। यह मामला समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि डिजिटल दुनिया में सावधानी कितनी जरूरी है।

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