लखनऊ/बलरामपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के सरगना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। ताजा जाँच में पता चला कि चार सरकारी अधिकारियों ने छांगुर का साथ दिया, जिसके चलते उसका काला साम्राज्य फलता-फूलता रहा। यूपी ATS आज, 16 जुलाई 2025 को, छांगुर और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को लखनऊ कोर्ट में पेश कर रिमांड बढ़ाने की माँग करेगी। दोनों 10 जुलाई से ATS की हिरासत में हैं।
चार अफसरों की संलिप्तता
ATS की जाँच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात एक ADM, दो CO, और एक इंस्पेक्टर छांगुर के इशारे पर काम करते थे। ये अधिकारी उसके हर आदेश को बिना सवाल किए पूरा करने को तैयार रहते थे। इनके सहयोग से छांगुर ने अवैध धर्मांतरण का जाल बेरोकटोक फैलाया। अब इन चारों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है, और ATS इसकी गहन पड़ताल कर रही है।
3000 अनुयायियों की फौज
छांगुर ने देशभर में धर्मांतरण के लिए 3000 अनुयायियों की फौज खड़ी की थी। उसका नेटवर्क यूपी, बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र तक फैला था। ये लोग हिंदू बनकर युवतियों को प्रेमजाल में फँसाते थे। छांगुर का बेटा महबूब इस अभियान का लीडर था, जबकि नवीन उर्फ जमालुद्दीन तकनीकी सहयोग देता था। एक खास टीम हिंदू युवतियों की जानकारी जुटाती थी, जो आम लोगों की तरह घूमकर डेटा इकट्ठा करती और छांगुर को सौंपती थी।
ISI और विदेशी फंडिंग का खेल
जाँच में पता चला कि छांगुर नेपाल में बैठकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से संपर्क में था। वह नेपाल के दांग जिले के एक धार्मिक नेता के साथ काठमांडू गया था, ताकि पाक दूतावास के जरिए ISI से साठगाँठ कर सके। उसने सऊदी अरब के इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक और मुस्लिम वर्ल्ड लीग जैसे संगठनों से फंडिंग हासिल की। नीतू के खातों में 5 करोड़ और नवीन के खातों में 34 करोड़ रुपये विदेश से आए, जो धर्मांतरण और संपत्ति खरीद में लगे।
कोठी में साजिश का अड्डा
छांगुर ने बलरामपुर में दो कोठियाँ बनवाईं, जिनमें तहखाने जैसे कक्ष थे। इनमें 200 लोगों को धर्मांतरण का प्रशिक्षण देने की योजना थी। वह कट्टर मौलानाओं से संपर्क में था और हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ नफरत फैलाने वाली किताब ‘शिजर-ए-तय्यबा’ तैयार कर रहा था। 8 और 9 जुलाई को एक कोठी पर बुलडोजर चला, जो सरकारी जमीन पर अवैध थी।
रहस्यमय आका
ATS को शक है कि छांगुर के पीछे एक बड़ा मास्टरमाइंड था, जिसके फोन पर वह तुरंत प्लान बदल देता था। वह सिर्फ कीपैड फोन इस्तेमाल करता था और अपने आका का नंबर उसे जुबानी याद था। इस रहस्यमय शख्स की पहचान के लिए जाँच जारी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा
यह मामला धर्मांतरण से बढ़कर राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है। छांगुर की ISI से साठगाँठ और विदेशी फंडिंग ने सामाजिक सौहार्द को खतरे में डाला। यह समाज से जागरूकता और सरकार से कठोर कार्रवाई की माँग करता है।
(ये जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।)

