बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ की वतन वापसी: अटारी-वाघा बॉर्डर पर मिली आजादी

BSF Jawan Purnam shaw returned: बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ, जो गलती से पाकिस्तान सीमा में चले गए थे, 21 दिन बाद सकुशल भारत लौट आए। अटारी-वाघा बॉर्डर पर उनकी वापसी से पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। बीएसएफ ने इसे राजनयिक जीत बताया है।

Samvadika Desk
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बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ। (इमेज - पीटीआई)
Highlights
  • BSF जवान पूर्णम शॉ 21 दिन बाद पाकिस्तान से लौटे!
  • गलती से सीमा पार करने पर पाकिस्तान ने किया था गिरफ्तार!
  • अटारी-वाघा बॉर्डर पर हुई शांतिपूर्ण वापसी!
  • शॉ की पत्नी रजनी ने जताया सरकार पर भरोसा!

अमृतसर, पंजाब: भारत के लिए गर्व का क्षण! बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ (PK Shaw) 21 दिन की हिरासत के बाद पाकिस्तान से सुरक्षित वापस लौट आए। 14 मई 2025 को सुबह 10:30 बजे पंजाब के अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें बीएसएफ के हवाले किया। 23 अप्रैल 2025 को फिरोजपुर में गलती से सीमा पार करने के बाद शॉ को रेंजर्स ने हिरासत में लिया था। उनकी वापसी ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ा दी है। बीएसएफ ने उनकी रिहाई को राजनयिक प्रयासों की जीत बताया और शॉ को मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया।

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कैसे हुई हिरासत

पूर्णम शॉ, जो बीएसएफ की 24वीं बटालियन में तैनात हैं, 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर जिले के ममदोट क्षेत्र में ड्यूटी पर थे। गेहूं की कटाई के लिए किसान सीमा की बाड़ (Border Fence) के पार खेतों में गए थे, और उनकी निगरानी के लिए शॉ और एक अन्य जवान साथ थे। उस दिन भीषण गर्मी थी। शॉ राहत पाने के लिए एक पेड़ की छाँव में बैठ गए, जो अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में पड़ता था। एक स्थानीय पाकिस्तानी किसान ने उन्हें देखकर रेंजर्स को सूचना दी। रेंजर्स ने तुरंत शॉ को हिरासत में ले लिया और उनकी सर्विस राइफल (Service Rifle) जब्त कर ली। इस घटना ने बीएसएफ में हड़कंप मचा दिया, और जल्लोके चेक पोस्ट पर तुरंत कार्रवाई शुरू हुई।

राजनयिक प्रयासों से रिहाई

शॉ की रिहाई के लिए भारत ने तुरंत कदम उठाए। बीएसएफ ने पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ फ्लैग मीटिंग्स (Flag Meetings) कीं और डीजीएमओ स्तर पर बातचीत शुरू की। भारत ने स्पष्ट किया कि शॉ गलती से सीमा पार गए थे और उनकी तत्काल रिहाई की माँग की। हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर समझौते ने इस प्रक्रिया को गति दी। 12 मई को डीजीएमओ बातचीत के बाद पाकिस्तान ने शॉ को छोड़ने पर सहमति जताई। 14 मई को सुबह अटारी-वाघा बॉर्डर के जॉइंट चेक पोस्ट पर शॉ को शांतिपूर्ण तरीके से भारत को सौंप दिया गया। बीएसएफ प्रवक्ता ने बताया कि यह प्रक्रिया तय प्रोटोकॉल (Established Protocols) के तहत पूरी हुई।

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Dr Sukanta Majumdar X Post

शॉ की पहली झलक और स्वास्थ्य

शॉ की वापसी की तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें वे बीएसएफ जवानों के साथ अटारी बॉर्डर पर नजर आए। हरे रंग की टी-शर्ट में शॉ स्वस्थ और सुरक्षित दिखे, हालाँकि उनकी दाढ़ी और उलझे बाल लंबे कैद का अहसास कराते हैं। बीएसएफ ने उन्हें तुरंत मेडिकल चेकअप (Medical Examination) के लिए ले जाया, जिसके बाद उनकी काउंसलिंग और डीब्रीफिंग (Debriefing) होगी। बीएसएफ ने उनकी हिरासत की परिस्थितियों की जाँच शुरू की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। शॉ को जल्द ही उनके परिवार के पास भेजा जाएगा।

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बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ की वतन वापसी। (इमेज – पीटीआई)

पत्नी रजनी का विश्वास और खुशी

शॉ की गर्भवती पत्नी रजनी, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की रहने वाली हैं, ने उनकी वापसी पर राहत की साँस ली। जब शॉ को हिरासत में लिया गया था, रजनी फिरोजपुर पहुँची थीं और बीएसएफ अधिकारियों से उनकी रिहाई की गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा, “मुझे सरकार और सेना पर पूरा भरोसा था। मेरे पति की सुरक्षित वापसी ने मेरा विश्वास और मजबूत किया।” रजनी ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को धन्यवाद दिया। शॉ का परिवार, जो उनकी रिहाई के लिए प्रार्थना कर रहा था, अब उनके घर लौटने की प्रतीक्षा में है।

सामाजिक और राष्ट्रीय गर्व

शॉ की वापसी ने सोशल मीडिया पर देशभक्ति की लहर पैदा कर दी है। लोग उनकी रिहाई को भारत की राजनयिक ताकत (Diplomatic Strength) और सेना की प्रतिबद्धता का प्रतीक मान रहे हैं। यह घटना सीमा पर तैनात जवानों की चुनौतियों को भी रेखांकित करती है, जहाँ एक छोटी सी गलती बड़े परिणाम ला सकती है। शॉ की वापसी ने उनके परिवार और देशवासियों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है, और यह एक बार फिर साबित करता है कि भारत अपने किसी भी सैनिक को पीछे नहीं छोड़ता।

(पीटीआई से इनपुट सहित)

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