नई दिल्ली: लोकसभा में लंबी बहस के बाद विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी “जी राम जी बिल 2025” पास हो गया। यह बिल मनरेगा की जगह लेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में 125 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी देगा। विपक्ष ने योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने पर हंगामा किया और “महात्मा गांधी का अपमान नहीं सहेगा” जैसे नारे लगाए। जवाब में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और कहा, “गांधी जी ने खुद कहा था कि आजादी मिलने के बाद कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए, लेकिन नेहरू परिवार ने सत्ता के लालच में ऐसा नहीं किया।”
शिवराज का कांग्रेस पर करारा प्रहार
शिवराज सिंह ने बहस के दौरान कांग्रेस को आड़े हाथों लिया:
- “कांग्रेस ने हर योजना का नाम नेहरू परिवार के सदस्यों पर रखा, गांधी जी के नाम पर नहीं।”
- “गांधी जी के आदर्शों की हत्या तब हुई जब कांग्रेस भंग नहीं की गई, जब देश का बंटवारा स्वीकार किया गया और जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया।”
- “मनरेगा को कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया था। 40% सामग्री पर खर्च होने वाला पैसा सिर्फ 26% ही खर्च हुआ। मोदी सरकार ने इसे साफ-सुथरा किया और अब जी राम जी बिल से गांवों का पूरा विकास होगा।”
विपक्ष का हंगामा: “गांधी जी का अपमान”
विपक्षी सांसदों ने बिल से “महात्मा गांधी” का नाम हटाने पर कड़ा विरोध जताया। उनका कहना था कि मनरेगा गांधी जी की सोच पर आधारित थी और नाम बदलना उनका अपमान है। सदन में नारेबाजी हुई, लेकिन बिल बहुमत से पास हो गया।
नया बिल क्यों जरूरी?
सरकार का तर्क है कि मनरेगा में कई कमियां थीं:
- राज्यों के बीच फंड का बंटवारा ठीक नहीं हो पाता था
- मजदूरी और सामग्री के अनुपात में भारी गड़बड़ी
- भ्रष्टाचार का बोलबाला
जी राम जी बिल इन कमियों को दूर करेगा। यह 125 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी देगा, गांवों में स्थायी संपत्ति बनाएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
आगे की राह
बिल अब राज्यसभा में जाएगा। सरकार का दावा है कि यह विकसित भारत के संकल्प का हिस्सा है और गांवों को आत्मनिर्भर बनाएगा। विपक्ष इसे “नाम बदलने की साजिश” बता रहा है। लेकिन शिवराज सिंह के तीखे बोलों ने सदन में बहस को और गरमा दिया है।
लोकसभा से पास होने के बाद जी राम जी बिल अब ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

