वाराणसी, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश की एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने वाराणसी के आदमपुर क्षेत्र से मोहम्मद तुफैल ( Mohammed Tufail) को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। तुफैल पर भारत के महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थलों की जानकारी पाकिस्तान को भेजने का आरोप है। इस गिरफ्तारी के बाद उसके पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जहां कुछ पड़ोसियों को तुफैल का व्यवहार संदिग्ध लगता था, वहीं उसके ममेरे भाई ने देश के खिलाफ गतिविधियों को पाप बताते हुए कानून का समर्थन किया। तुफैल की गजवा-ए-हिंद और कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित गतिविधियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे को उजागर किया है।
पड़ोसियों के खुलासे: संदिग्ध व्यवहार और धार्मिक रुझान
तुफैल मोहम्मद ( Mohammed Tufail) के पड़ोसियों ने उसकी गतिविधियों और व्यवहार को लेकर कई हैरान करने वाली बातें बताई हैं। आदमपुर में तुफैल के पड़ोसी राम प्रकाश ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि तुफैल पिछले कुछ सालों से अपने ननिहाल में रह रहा था। वह शांत स्वभाव का था और उसके परिवार का संपर्क आसपास के लोगों से सीमित था। राम प्रकाश के अनुसार, तुफैल का परिवार धार्मिक आयोजनों जैसे जलसों में सक्रिय रहता था, और इन आयोजनों में भारी भीड़ जुटती थी। परिवार के कई सदस्य 2-3 बार हज यात्रा भी कर चुके हैं। हालांकि, उन्हें कभी यह शक नहीं हुआ कि तुफैल पाकिस्तान के लिए जासूसी जैसा गंभीर अपराध कर सकता है।
वहीं, एक अन्य पड़ोसी विनोद ने तुफैल के व्यवहार को संदिग्ध बताया। उन्होंने कहा, “तुफैल का पहनावा और बोलचाल हमेशा संदिग्ध लगता था। उसकी बातों में गजवा-ए-हिंद और कट्टरपंथी विचारधारा की झलक मिलती थी।” विनोद के इस बयान ने तुफैल की गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जो बाद में ATS की जांच में भी सामने आए।
ममेरे भाई का बयान: देशद्रोह को बताया पाप
मोहम्मद तुफैल के ममेरे भाई सकलैन ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि परिवार को तुफैल की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने बताया, “हमें नहीं पता था कि तुफैल पाकिस्तान के संपर्क में है। अगर ये आरोप सही हैं, तो यह निश्चित रूप से पाप है। देश के खिलाफ कोई भी गतिविधि स्वीकार्य नहीं है।” सकलैन ने यह भी कहा कि तुफैल के वीडियो और संवेदनशील स्थलों की जानकारी साझा करने की बात परिवार को नहीं पता थी। उन्होंने कानून के फैसले को स्वीकार करने की बात कही और देशद्रोह को पूरी तरह गलत ठहराया।
सकलैन ने यह भी बताया कि तुफैल 2014 में अपने माता-पिता के तलाक के बाद अपनी मां के साथ ननिहाल में रहने लगा था। उसकी मां जाहिदा बीबी की तबीयत खराब रहती थी, जिसके चलते परिवार का बाकी रिश्तेदारों से संपर्क कम हो गया था। तुफैल के पिता मकसूद आलम से भी तलाक के बाद कोई रिश्ता नहीं रहा।
ATS की जांच और तुफैल की गतिविधियां
ATS को खुफिया इनपुट मिला था कि वाराणसी का एक व्यक्ति भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान को भेज रहा है। इसके आधार पर ATS ने तुफैल की गतिविधियों पर नजर रखी और 22 मई, 2025 को उसे आदमपुर से गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि तुफैल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के संपर्क में था और एक हनी ट्रैप के जरिए उनके जाल में फंस गया था।
तुफैल ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ के नेता मौलाना शाद रिजवी के वीडियो और कट्टरपंथी संदेश व्हाट्सएप ग्रुप्स में साझा किए। वह ‘गजवा-ए-हिंद’, बाबरी मस्जिद का बदला, और भारत में शरीयत लागू करने जैसे संदेशों का प्रचार करता था। इसके अलावा, उसने राजघाट, नमोघाट, ज्ञानवापी, लाल किला, जामा मस्जिद, और निजामुद्दीन औलिया जैसे संवेदनशील स्थलों की तस्वीरें और जानकारियां पाकिस्तानी नंबरों पर भेजीं। तुफैल के 600 से अधिक पाकिस्तानी नंबरों से संपर्क और कई लोगों को इन ग्रुप्स में जोड़ने की बात भी सामने आई है।
हनी ट्रैप और कट्टरपंथ का खतरनाक मिश्रण
जांच में तुफैल की गिरफ्तारी के पीछे एक पाकिस्तानी महिला नफीसा की अहम भूमिका सामने आई थी। नफीसा, जिसका पति पाकिस्तानी सेना में कार्यरत है, ने फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए तुफैल को हनी ट्रैप में फंसाया। उसने धार्मिक और भावनात्मक बातों के जरिए तुफैल को बहकाया और उसे जासूसी व कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए उकसाया। तुफैल की धार्मिक प्रवृत्ति और मौलवियों से करीबी ने उसे इस जाल में और आसानी से फंसने वाला बना दिया।
तुफैल की गतिविधियां न केवल जासूसी तक सीमित थीं, बल्कि वह कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देकर सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचा रहा था। उसकी गजवा-ए-हिंद की बातें और संवेदनशील स्थलों की जानकारी लीक करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा था।
परिवार और पड़ोसियों में हैरानी
तुफैल की गिरफ्तारी ने उसके परिवार और पड़ोसियों को सदमे में डाल दिया है। जहां कुछ पड़ोसियों को उसका व्यवहार संदिग्ध लगता था, वहीं परिवार को उसकी गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी। पड़ोसियों का कहना है कि तुफैल का परिवार मजहबी और शांत स्वभाव का था, और उनकी हज यात्राएं और जलसों में भागीदारी सामान्य थी। लेकिन तुफैल की कट्टरपंथी सोच और पाकिस्तान से संपर्क ने सभी को हैरान कर दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबक
तुफैल का मामला सोशल मीडिया के दुरुपयोग और हनी ट्रैप जैसे खतरों को उजागर करता है। यह घटना दिखाती है कि कैसे विदेशी खुफिया एजेंसियां धार्मिक भावनाओं और व्यक्तिगत कमजोरियों का फायदा उठाकर सामान्य नागरिकों को अपने जाल में फंसा रही हैं। तुफैल की मजहबी प्रवृत्ति और अनियमित दिनचर्या ने उसे आसान शिकार बना दिया।
ATS की त्वरित कार्रवाई ने इस साजिश को समय रहते नाकाम कर दिया, लेकिन यह मामला समाज के लिए एक चेतावनी है। सोशल मीडिया पर संदिग्ध संपर्कों से सावधान रहने और कट्टरपंथी विचारधारा से दूरी बनाने की जरूरत है। तुफैल की कहानी यह सिखाती है कि देश के खिलाफ कोई भी गतिविधि न केवल अपराध है, बल्कि सामाजिक और नैतिक पतन का प्रतीक भी है।