बरेली, यूपी: बरेली में लावारिश बच्ची राधा को लेकर चल रही जाँच ने नया मोड़ लिया है। बरेली पुलिस ने 21 अप्रैल को पुष्टि की कि बच्ची अपनी माँ के पास सुरक्षित पहुँच गई है, लेकिन उसे खंडहर में छोड़ने वाले अजनबी की तलाश जारी है। SSP Bareilly (अनुराग आर्य) ने एक वीडियो बयान में बताया कि बच्ची की माँ, गुफराना, ने उसे बरेली जंक्शन पर एक अनजान व्यक्ति को सौंपा था, जिसने बाद में बच्ची को लावारिस छोड़ दिया। यह अपडेट राधा (इनायक – असली नाम) की कहानी को राहत के साथ-साथ नए सवाल देती है: बच्ची को इस हाल में छोड़ने की वजह क्या थी?
बच्ची स्वस्थ, माँ मिली, लेकिन सवाल बाकी
21 अप्रैल की सुबह 11:20 बजे, SSP अनुराग आर्य ने वीडियो जारी कर बताया कि 6-7 महीने की बच्ची, जिसे खंडहर में लावारिस पाया गया था, अब अपनी माँ के पास है। बच्ची की माँ, गुफराना, बदायूँ से बिहार के मधुबनी जा रही थी और बरेली जंक्शन पर ट्रेन बदलने रुकी थी। उसने बताया कि बच्ची के रोने से परेशान होकर उसने उसे चुप कराने के लिए एक अनजान व्यक्ति को सौंप दिया। यह व्यक्ति बच्ची को लेकर स्टेशन से बाहर गया और उसे छोड़कर चला गया।
पुलिस ने उसी दिन शाम तक गुफराना का पता लगाकर बच्ची को उसकी माँ को सौंप दिया। SSP ने पुष्टि की कि बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और उसे मेडिकल देखभाल दी गई। जाँच अब उस अजनबी की तलाश पर केंद्रित है, जिसकी भूमिका संदिग्ध हो सकती है। क्या यह लापरवाही थी, या इसके पीछे कौन सी बजह थी? पुलिस ने इस बारे में अभी कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला, लेकिन जाँच तेज़ी से चल रही है।
खुशबू पटानी की भूमिका की तारीफ
SSP अनुराग आर्य ने इस मामले में खुशबू पटानी की सराहना की, जिन्होंने बच्ची को खंडहर में देखकर तुरंत पुलिस को सूचित किया। “खुशबू ने एक जागरूक नागरिक की भूमिका निभाई, जो प्रशंसनीय है,” उन्होंने कहा। खुशबू की इस पहल ने न सिर्फ़ बच्ची की जान बचाई, बल्कि इस मामले को राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया। उनकी वायरल वीडियो अपील ने समाज में बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर चर्चा छेड़ दी।
लावारिश बच्ची राधा की कहानी की शुरुआत
दरअसल, यह मामला 20 अप्रैल 2025 को तब सामने आया, जब खुशबू पटानी की माँ ने बरेली में अपने घर के पास एक खंडहर से बच्ची की रुलाई सुनी। उन्होंने खुशबू को बताया, जो तुरंत मौके पर पहुँचीं और दीवार फाँदकर बच्ची को बचाया। बच्ची के चेहरे पर चोट के निशान थे, और वह भूख से रो रही थी। खुशबू और उनकी माँ ने बच्ची की देखभाल की, उसे दूध पिलाया, और पुलिस को सूचित किया।
खुशबू ने बच्ची का नाम राधा रखा और इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया, जो X पर वायरल हो गया। वीडियो में उन्होंने भावुक अपील की: “अगर यह आपकी बच्ची है, तो बताएँ। खंडहर में माँ-बाप बच्चे को छोड़कर जा रहे हैं, धिक्कार है ऐसे माँ-बाप पर।” इस अपील ने न सिर्फ़ बच्ची की माँ को ढूँढने में मदद की, बल्कि बच्चों के परित्याग जैसे गंभीर मुद्दे को सामने लाया।
जाँच और सवाल
पुलिस ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ उसकी चोटों का इलाज हुआ। गुफराना का दावा—कि उसने बच्ची को अनजान व्यक्ति को सौंपा—कई सवाल उठाता है। क्या यह सिर्फ़ एक माँ की लापरवाही थी, या परिस्थितियों ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया? उस अजनबी की मंशा क्या थी, और वह बच्ची को बाहर ऐसे ही क्यों छोड़ गया? पुलिस इन सवालों के जवाब तलाश रही है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
समाज पर प्रभाव
राधा की कहानी ने बच्चों की सुरक्षा और माता-पिता की ज़िम्मेदारी पर बहस छेड़ दी है। X पर यूज़र्स ने खुशबू, उनकी माँ, और पुलिस की तारीफ की, लेकिन कई ने सवाल भी उठाए: “एक माँ अपनी बच्ची को अजनबी को क्यों देती है?” “रेलवे स्टेशनों पर बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या इंतज़ाम हैं?” यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि माता-पिता को ऐसी परिस्थितियों में सहारा देने के लिए क्या सिस्टम मौजूद है।
खुशबू की अपील—“जाको राखे साइयाँ, मार सके ना कोय”—अब एक प्रेरणा बन चुकी है। उनकी माँ की संवेदनशीलता और उनके साहस ने दिखाया कि एक व्यक्ति की छोटी-सी कोशिश बड़ा बदलाव ला सकती है। लेकिन यह ज़िम्मेदारी सिर्फ़ उनकी नहीं, हम सबकी है।
राधा का भविष्य
खुशबू ने वादा किया है कि वह राधा के मामले को फॉलो करेंगी, ताकि बच्ची को सुरक्षित और बेहतर भविष्य मिले। राधा अब अपनी माँ के पास है, लेकिन उसकी कहानी हमें याद दिलाती है कि हर बच्चा समाज की ज़िम्मेदारी है। बरेली पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा के लिए और मज़बूत सिस्टम की ज़रूरत है।