राजगढ़, मध्यप्रदेश: भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के एक वायुसैनिक की कहानी हर भारतीय के दिल को छू रही है। दिल्ली के पास ईसापुर एयरफोर्स स्टेशन में तैनात वायुसैनिक मोहित राठौर की शादी 8 मई, 2025 को कुरावर में धूमधाम से हुई थी, लेकिन शादी की खुशियां अभी पूरी तरह मनी भी नहीं थीं कि देश की पुकार ने उनके सपनों को कुछ समय के लिए विराम दे दिया। शादी के दिन ही मोहित को वायुसेना से फोन आया कि उनकी छुट्टी रद्द कर दी गई है और उन्हें तुरंत ड्यूटी ज्वाइन करनी होगी। नई-नवेली दुल्हन वंदना ने नम आंखों लेकिन गर्व भरे दिल के साथ अपने पति को विदा किया, और उनके परिवार ने इस बलिदान को देशसेवा का सर्वोच्च सम्मान बताया। यह कहानी सैनिकों और उनके परिवारों के त्याग और समर्पण की एक मिसाल है।
शादी की रस्मों के बीच ड्यूटी का फरमान
मोहित राठौर, जो पिछले छह साल से भारतीय वायुसेना में सेवारत हैं, अपनी शादी के लिए 15 मई तक की छुट्टी लेकर अपने गृहनगर कुरावर आए थे। 8 मई को कुरावर के एक मैरिज गार्डन में मोहित ने राजगढ़ जिले के लसूड़िया रामनाथ निवासी गोपाल राठौर की बेटी वंदना के साथ सात फेरे लिए। सेहरा बांधे मोहित और मेहंदी रचे हाथों वाली वंदना ने नए जीवन के सपने संजोने शुरू ही किए थे कि उसी दिन वायुसेना स्टेशन से एक फोन ने सब कुछ बदल दिया।
मोहित ने पत्रिका के रिपोर्टर को बताया, “शादी के दिन बुधवार को स्टेशन से फोन आया कि सीमा पर तनाव के कारण सभी जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। मुझे तुरंत ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा गया।” जब मोहित ने शादी के बारे में सूचित किया, तो उन्हें शनिवार सुबह तक ज्वाइन करने की मोहलत दी गई। बिना किसी हिचक के, मोहित ने देशसेवा को प्राथमिकता दी और ड्यूटी पर लौटने की तैयारी शुरू कर दी।
वंदना और परिवार का गर्व
मोहित राठौर के इस फैसले ने उनकी नई-नवेली दुल्हन वंदना के सामने एक भावनात्मक चुनौती खड़ी कर दी। शादी के अगले दिन ही अपने पति को विदा करना आसान नहीं था, लेकिन वंदना ने इस कठिन पल में अदम्य साहस दिखाया। उन्होंने कहा, “मोहित का पहला कर्तव्य देश के प्रति है। मुझे गर्व है कि मेरे पति देश की रक्षा के लिए जा रहे हैं। मैं उनके साथ हूं और उनकी सुरक्षित वापसी की प्रार्थना करती हूं।”
वंदना के पिता गोपाल राठौर ने भी इस बलिदान को परिवार के लिए गर्व का विषय बताया। उन्होंने कहा, “हमारा दामाद शादी के तुरंत बाद देश की सेवा के लिए जा रहा है। यह हमारे लिए सम्मान की बात है। हम चाहते हैं कि वह देश की रक्षा करें और सुरक्षित लौटें।” मोहित के परिवार ने भी इस फैसले का समर्थन किया और कहा कि देशसेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
सीमा पर तनाव और सैनिकों की तैनाती
भारत-पाकिस्तान सीमा पर हाल के दिनों में तनाव बढ़ा है, जिसके चलते सेना और वायुसेना ने सभी जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। इस तनाव की पृष्ठभूमि में सैनिकों को तुरंत ड्यूटी पर बुलाया जा रहा है ताकि सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा सके। मोहित जैसे सैनिक इस चुनौतीपूर्ण समय में देश की रक्षा के लिए अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को पीछे छोड़ रहे हैं।
इस तरह की परिस्थितियां सैनिकों और उनके परिवारों के लिए भावनात्मक रूप से कठिन होती हैं, लेकिन यह भारतीय सेना और उनके परिवारों के अटूट समर्पण का प्रतीक भी है। मोहित ने कहा, “मेरी जिम्मेदारी मेरे देश के प्रति है। मैं जल्द लौटूंगा, लेकिन पहले मुझे अपना कर्तव्य निभाना है।”
सामाजिक प्रभाव और प्रेरणा
मोहित और वंदना की कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। लोग उनके साहस, त्याग, और देशभक्ति की भावना की तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “वंदना जैसी महिलाएं देश की असली ताकत हैं। उनके पति सैनिक हैं, और वे स्वयं एक योद्धा हैं।” एक अन्य यूजर ने कहा, “यह कहानी हर भारतीय को गर्व से भर देती है। हमारे सैनिक और उनके परिवार सलाम के हकदार हैं।”
यह कहानी न केवल देशभक्ति की भावना को मजबूत करती है, बल्कि युवाओं को यह भी सिखाती है कि कर्तव्य और बलिदान देश की नींव हैं। मोहित और वंदना का यह त्याग उन तमाम सैनिकों और उनके परिवारों को समर्पित है जो हर दिन देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं।
समान परिस्थितियों की अन्य कहानियां
मोहित की कहानी अकेली नहीं है। हाल ही में महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पाचोरा निवासी सेना के जवान मनोज पाटील को भी शादी के तीन दिन बाद ही ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के तहत सीमा पर ड्यूटी के लिए बुलाया गया। उनकी पत्नी यामिनी ने गर्व के साथ कहा, “देश से बड़ा कुछ नहीं।” ऐसी कहानियां भारतीय सैनिकों और उनके परिवारों के अटूट जज्बे को दर्शाती हैं, जो देशसेवा को हर खुशी से ऊपर रखते हैं।
देश की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं
मोहित राठौर और वंदना की कहानी भारतीय सेना के सैनिकों और उनके परिवारों के बलिदान और समर्पण की जीवंत मिसाल है। शादी जैसे जीवन के सबसे खास मौके को पीछे छोड़कर देश की पुकार पर ड्यूटी के लिए रवाना होना और परिवार का इस फैसले में पूर्ण समर्थन देना यह दिखाता है कि देशसेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। वंदना के गर्व भरे शब्द और मोहित का कर्तव्यनिष्ठा हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की लौ जलाते हैं। यह कहानी उन सभी सैनिकों और उनके परिवारों को समर्पित है जो देश की रक्षा के लिए हर पल तैयार रहते हैं।