नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने देश के भीतर छिपे गद्दारों पर नकेल कसते हुए तीन जासूसों को गिरफ्तार किया है, जिनके राष्ट्रविरोधी इरादों ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। “ऑपरेशन सिंदूर” (Operation Sindoor) के तहत पकड़े गए ये जासूस आम नागरिकों की तरह जीवन जी रहे थे, लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए संवेदनशील सैन्य सूचनाएँ लीक कर रहे थे। ज्योति मल्होत्रा, देवेंद्र सिंह, और नोमान इलाही की गिरफ्तारी ने जासूसी के एक खतरनाक नेटवर्क को उजागर किया है, जो सोशल मीडिया, डार्क वेब, और हनी ट्रैप के जरिए भारत की सुरक्षा को चुनौती दे रहा था।
ज्योति मल्होत्रा: यूट्यूबर की आड़ में जासूसी
हरियाणा के हिसार की ज्योति मल्होत्रा एक लोकप्रिय यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर थीं, जो ‘ट्रैवल विद जो’ चैनल चलाती थीं। बाहर से एक ट्रैवल व्लॉगर की छवि रखने वाली ज्योति ISI के लिए जासूसी का खतरनाक खेल खेल रही थी। पुलिस जाँच में पता चला कि वह व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जरिए सैन्य मूवमेंट, कैंटोनमेंट क्षेत्र की तस्वीरें, और रणनीतिक सूचनाएँ (Strategic Information) पाकिस्तान भेज रही थी। ज्योति का संपर्क दुबई में बैठे एक कथित हैंडलर से था, जो उसे भुगतान करता था। उसकी गिरफ्तारी ने महिला जासूसों के जरिए ISI के नए नेटवर्क की परतें खोलीं। ज्योति की सोशल मीडिया उपस्थिति, जिसमें लाखों फॉलोअर्स थे, ने उसके इरादों को छिपाने में मदद की।
देवेंद्र सिंह: गाँव के युवक का देशद्रोह
हरियाणा के कैथल जिले के मस्तगढ़ गाँव का देवेंद्र सिंह एक पूर्व सैन्यकर्मी का बेटा है। वह ISI के लिए गोपनीय सैन्य सूचनाएँ लीक कर रहा था। रिपोर्ट्स के अनुसार, देवेंद्र की फेसबुक के जरिए एक पाकिस्तानी हैंडलर से दोस्ती हुई, जो उसे हर जानकारी के बदले 5,000 से 10,000 रुपये देता था। उसने सैन्य क्षेत्रों के नक्शे और दस्तावेज ISI को भेजे। पुलिस ने उसके मोबाइल और लैपटॉप से कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद किए हैं। देवेंद्र की गिरफ्तारी 17 मई 2025 को हुई, जब उसकी संदिग्ध गतिविधियों पर खुफिया एजेंसियों की नजर पड़ी। उसका मामला यह दर्शाता है कि ISI ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को भी निशाना बना रही है।
नोमान इलाही: डार्क वेब का जासूस
पानीपत, हरियाणा के नोमान इलाही की गिरफ्तारी ने जासूसी के डिजिटल आयाम को उजागर किया। पेशे से कंप्यूटर ऑपरेटर नोमान डार्क वेब (Dark Web) के जरिए ISI के लिए काम कर रहा था। उसने रेलवे और सैन्य मूवमेंट की जानकारी विदेशी नंबरों पर भेजी। पूछताछ में नोमान ने स्वीकार किया कि वह नकदी के बदले लोगों से USB ड्राइव और दस्तावेज लेता था और उन्हें डार्कनेट पर अपलोड करता था। उसकी तकनीकी विशेषज्ञता ने उसे ISI का भरोसेमंद एजेंट बनाया। नोमान की गिरफ्तारी ने डार्क वेब के जरिए जासूसी के खतरे को सामने लाया, जो पारंपरिक जासूसी से कहीं अधिक जटिल है।
गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
तीनों आरोपियों—ज्योति मल्होत्रा, देवेंद्र सिंह, और नोमान इलाही—के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 (Official Secrets Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले को अपने हाथ में लिया है और इसे अंतरराष्ट्रीय जासूसी नेटवर्क से जोड़कर देख रही है। पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल, लैपटॉप, और डिजिटल डिवाइस जब्त किए हैं, जिनकी साइबर फोरेंसिक जाँच चल रही है। 17 मई 2025 को हुई इन गिरफ्तारियों ने ISI के भारत में फैले नेटवर्क पर बड़ा प्रहार किया है।
ऑपरेशन ‘सिंदूर’ और सरकार का सख्त रुख
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न केवल सीमा पार बैठे दुश्मनों को निशाना बनाया, बल्कि देश के भीतर छिपे गद्दारों को भी बेनकाब किया। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने साफ संदेश दिया है कि राष्ट्र की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। इस ऑपरेशन के तहत देशभर में दर्जनों संदिग्धों को निगरानी में लिया गया है, और जाँच तेजी से चल रही है। खुफिया एजेंसियाँ अब सोशल मीडिया, डार्क वेब, और हनी ट्रैप जैसे नए तरीकों पर नजर रख रही हैं, जिनका इस्तेमाल ISI भारत में जासूसी के लिए कर रही है।
सामाजिक और राष्ट्रीय प्रभाव
इन तीन जासूसों की गिरफ्तारी ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है। ज्योति मल्होत्रा जैसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, देवेंद्र सिंह जैसे ग्रामीण युवा, और नोमान इलाही जैसे तकनीकी विशेषज्ञ का जासूसी में शामिल होना यह दर्शाता है कि ISI हर वर्ग को निशाना बना रही है। ये लोग बाहर से आम नागरिक दिखते थे, लेकिन उनके इरादे देश के खिलाफ थे। यह घटना सोशल मीडिया के दुरुपयोग और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी की जरूरत को उजागर करती है। लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या आर्थिक प्रलोभन, हनी ट्रैप, या अन्य दबाव इन जासूसों को गलत रास्ते पर ले गए।
समाज में हलचल और सवाल
यह जासूसी कांड दिल्ली से लेकर हरियाणा तक चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग हैरान हैं कि सामान्य दिखने वाले लोग कैसे ISI के लिए काम कर सकते हैं। ज्योति की सोशल मीडिया लोकप्रियता, देवेंद्र का ग्रामीण परिवेश, और नोमान की तकनीकी विशेषज्ञता ने उनके इरादों को छिपाने में मदद की। यह मामला समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि डिजिटल दुनिया में सावधानी कितनी जरूरी है। साथ ही, यह सवाल उठता है कि क्या इन जासूसों को रोकने के लिए पहले कदम उठाए जा सकते थे? सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता ने इस नेटवर्क को तोड़ा, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त कदमों की जरूरत है।