नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Terror Attack) पर सोशल मीडिया (Social Media) में सवाल उठाने वाली तीन कंटेंट क्रिएटर्स (Content Creators) शमिता यादव (‘रेंटिंग गोला’), डॉ. माद्री काकोती (‘डॉ. मेडुसा’), और नेहा सिंह राठौर कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही हैं। यादव के खिलाफ पुलिस शिकायत (Police Complaint) दर्ज हुई है, जबकि काकोती और राठौर पर देशद्रोह (Sedition) के मुकदमे दायर किए गए हैं। इनके बयानों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) और राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) पर तीखी बहस छेड़ दी है।
रेंटिंग गोला: मनुस्मृति विवाद और सरकार से जवाबदेही
शमिता यादव (Shamita Yadav), जिन्हें ‘रेंटिंग गोला (Ranting Gola)’ के नाम से जाना जाता है, अपने बेबाक और सरल सोशल मीडिया कंटेंट (Content) के लिए मशहूर हैं। वह बेरोजगारी (Unemployment), आर्थिक विकास (Economic Growth), अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत अपराध (Hate Crimes), और विभिन्न सरकारों की नीतियों पर सवाल उठाती हैं। 23 से 26 अप्रैल के बीच, यादव ने X पर चार वीडियो की सीरीज़ पोस्ट की, जिसमें उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और केंद्र सरकार (Union Government), गृह मंत्रालय (Home Ministry), और रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) से सुरक्षा खामियों (Security Lapses) पर जवाब माँगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वकील अमिता सचदेवा ने शमिता यादव के खिलाफ लखनऊ में पुलिस शिकायत (Police Complaint) दर्ज की, जिसमें उन पर मनुस्मृति का अपमान करने और “भारत विरोधी प्रचार” (Anti-Bharat Propaganda) को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया। सचदेवा ने अपने सार्वजनिक बयान में कहा, “उनके बयान न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं, बल्कि भारत की संप्रभुता (Sovereignty) और राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के खिलाफ सुनियोजित नैरेटिव बनाते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “ये सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Free Speech) का मामला नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया (Social Media) का दुरुपयोग कर भारत को बदनाम करने, पवित्र ग्रंथों का अपमान करने, और विदेशी ताकतों को बढ़ावा देने का मामला है।”
शमिता यादव (Shamita Yadav) ने इन आरोपों का खंडन किया और X पर लिखा, “कब से सरकार से जवाबदेही माँगना देश के खिलाफ हो गया? और कितना डराओगे?”
डॉ. मेडुसा: नफरत अपराधों को आतंकवाद बताने पर विवाद
लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) की सहायक प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोती (Dr. Madri Kakoti), जिन्हें ‘डॉ. मेडुसा (Dr Medusa)’ के नाम से जाना जाता है, अपने व्यंग्यात्मक कंटेंट (Satirical Content) के लिए जानी जाती हैं। वह सरकारी नीतियों और सामाजिक मुद्दों पर तीखी टिप्पणियाँ करती हैं। पहलगाम हमले के बाद, काकोती ने X पर वीडियो पोस्ट किए, जिनमें उन्होंने हमले की निंदा की और कथित सुरक्षा खामियों (Security Lapses) पर सवाल उठाए।
उन्होंने एक सामान्य बयान में कहा कि हमले के बाद भारतीय मुसलमानों के खिलाफ लक्षित नफरत अपराध (Hate Crimes)—जैसे लिंचिंग (Lynching), धर्म के आधार पर नौकरी से निकालना, कुछ समुदायों को आवास से वंचित करना, और घर तोड़ना—भी आतंकवाद (Terrorism) का रूप हैं। इस बयान ने तीखा विवाद खड़ा किया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) नेता जतिन शुक्ला ने 28 अप्रैल को लखनऊ में काकोती के खिलाफ FIR दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने काकोती पर “X पर अपने पोस्ट्स के ज़रिए भारत की एकता और संप्रभुता (Unity and Sovereignty) को निशाना बनाने” का आरोप लगाया। FIR में देशद्रोह (Sedition), वैमनस्य को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाएँ आहत करने, सार्वजनिक शांति भंग करने, और IT एक्ट (IT Act) उल्लंघन के आरोप शामिल हैं।
ABVP ने विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया और काकोती के खिलाफ कार्रवाई की माँग की। लखनऊ विश्वविद्यालय ने 28 अप्रैल को काकोती को कारण बताओ नोटिस (Show-Cause Notice) जारी किया, जिसमें पाँच दिनों में लिखित जवाब माँगा गया। काकोती ने 29 अप्रैल को अपने बयानों का बचाव करते हुए X पर लिखा, “मैंने जो कहा वह तथ्य है और पूरी तरह सही है। इस बयान में कुछ गलत नहीं है। यह एक सामान्य बयान है, जो ‘आतंक’ (Terror) की परिभाषा में आने वाले अपराधों को सूचीबद्ध करता है। अगर कोई इसे व्यक्तिगत रूप से लेता है, तो मैं इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं हूँ।”
नेहा राठौर केस: हमले के ‘राजनीतिकरण’ पर सवाल, देशद्रोह का केस
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर, जो “बिहार में का बा?”, “यूपी में का बा?”, और “एमपी में का बा?” जैसे गानों से मशहूर हैं, अपने सामाजिक और राजनीतिक कंटेंट के लिए जानी जाती हैं। पहलगाम हमले के बाद, राठौर ने X पर वीडियो पोस्ट किए, जिसमें उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्यों पर इस भयावह घटना को “राजनीतिकरण” (Politicising) करने का आरोप लगाया।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने 28 अप्रैल को राठौर के खिलाफ देशद्रोह (Sedition) का मुकदमा दर्ज किया। राठौर ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की और कहा कि सरकार उनके खिलाफ FIR दर्ज कर “वास्तविक मुद्दों” से ध्यान हटाना चाहती है। उन्होंने X पर लिखा, “पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) के जवाब में सरकार ने क्या किया? मेरे खिलाफ FIR? अगर हिम्मत है, तो आतंकियों (Terrorists) का सिर लाओ। मेरी नाकामियों का ठीकरा मुझ पर मत फोड़ो…”
जवाबदेही की माँग या सेंसरशिप की कोशिश?
शमिता यादव, डॉ. माद्री काकोती, और नेहा सिंह राठौर अपने तीखे और सरल कंटेंट (Content) के ज़रिए बेरोजगारी, आर्थिक विकास, और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत अपराध (Hate Crimes) जैसे मुद्दों पर सवाल उठाती रही हैं। पहलगाम हमले पर उनके बयानों—यादव की मनुस्मृति टिप्पणी, काकोती का नफरत अपराधों को आतंकवाद (Terrorism) बताना, और राठौर का राजनीतिकरण (Politicising) का आरोप—ने तीखा विवाद खड़ा किया है। कुछ लोग इन बयानों को धार्मिक भावनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के लिए खतरा मानते हैं, जबकि अन्य इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) का मुद्दा बताते हैं। पुलिस जाँच और अदालती प्रक्रिया इस विवाद की दिशा तय करेंगी।