Abdul Rauf Azhar Dead: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) का बदला लेते हुए जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के शीर्ष आतंकी और मसूद अजहर (Masood Azhar) के छोटे भाई रऊफ अजहर (Abdul Rauf Azhar) को मार गिराया। 6-7 मई 2025 की रात को भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तयैबा (Lashkar-e-Taiba), जैश-ए-मोहम्मद, और हिज्बुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) के आतंकी निशाने पर थे। रऊफ अजहर, जो 1999 के IC-814 कंधार हाइजैक (IC-814 Kandahar Hijacking) का मास्टरमाइंड और कई आतंकी हमलों का साजिशकर्ता था, इस हमले में मारा गया। यह भारत की आतंकवाद-विरोधी रणनीति में एक बड़ी जीत है।
ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले का जवाब
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी, और खुफिया सूत्रों ने पाकिस्तान की संलिप्तता का दावा किया था। भारत ने इसका जवाब ऑपरेशन सिंदूर के जरिए दिया, जिसमें 6-7 मई की रात बहावलपुर (Bahawalpur), मुरिदके (Muridke), और कोटली (Kotli) जैसे इलाकों में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के अनुसार, यह ऑपरेशन “सटीक, संयमित, और गैर-उत्तेजक” (Precise, Measured, Non-Escalatory) था, जिसमें पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया गया।
इस ऑपरेशन में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और चार सहयोगी मारे गए, जिसमें उनकी बहन, बहनोई, भतीजा, और अन्य रिश्तेदार शामिल थे। लेकिन सबसे बड़ा झटका रऊफ अजहर की मौत थी, जो जैश-ए-मोहम्मद का दूसरा सबसे बड़ा नेता (Second-in-Command) और IC-814 हाइजैक का मुख्य साजिशकर्ता था।
रऊफ अजहर कौन था?
रऊफ अजहर, जिसका पूरा नाम अब्दुल रऊफ अजहर असगर (Abdul Rauf Azhar Asghar) था, 1975 में बहावलपुर, पंजाब (Bahawalpur, Punjab) में पैदा हुआ था। वह मसूद अजहर का छोटा भाई और जैश-ए-मोहम्मद का अहम नेता था। बचपन से ही उसे कट्टरपंथी विचारों (Radical Ideologies) में ढाला गया, और मात्र 24 साल की उम्र में वह IC-814 हाइजैक की साजिश रचने वाला मास्टरमाइंड बन गया। रऊफ न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मोस्ट वॉन्टेड (Most Wanted) था, और उसकी गतिविधियों पर कई देशों की खुफिया एजेंसियों की नजर थी।
रऊफ की मृत्यु की पुष्टि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय खुफिया सूत्रों और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने की। सोशल मीडिया पर भी इसकी खबरें वायरल हुईं, जिसमें दावा किया गया कि वह बहावलपुर में जैश के मरकज सुब्हान अल्लाह (Markaz Subhan Allah) पर हुए हमले में मारा गया।
IC-814 हाइजैक: रऊफ की खूंखार साजिश
24 दिसंबर 1999 को काठमांडू (Kathmandu) से दिल्ली (Delhi) जा रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को हरकत-उल-मुजाहिदीन (Harkat-ul-Mujahideen) के पांच आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था। इस विमान को अमृतसर (Amritsar), लाहौर (Lahore), दुबई (Dubai), और अंत में कंधार (Kandahar), अफगानिस्तान ले जाया गया, जो उस समय तालिबान (Taliban) के कब्जे में था। हाइजैक का मकसद मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख (Ahmed Omar Saeed Sheikh), और मुश्ताक अहमद जरगर (Mushtaq Ahmed Zargar) को भारतीय जेलों से रिहा करवाना था।
रऊफ अजहर इस साजिश का मुख्य योजनाकार (Mastermind) था। उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI (Inter-Services Intelligence) और काठमांडू में अपने नेटवर्क की मदद से इस हाइजैक की योजना बनाई। इस घटना में एक यात्री, रूपिन कत्याल (Rupin Katyal), की हत्या कर दी गई थी। आखिरकार, भारत को तीनों आतंकियों को रिहा करना पड़ा, जिसके बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की।
जैश-ए-मोहम्मद में रऊफ की भूमिका
रऊफ अजहर जैश-ए-मोहम्मद का संचालन प्रमुख (Operational Head) था और संगठन के बड़े फैसले लेता था, खासकर जब मसूद अजहर अपनी खराब सेहत (Poor Health) के कारण सक्रिय नहीं था। उसने जैश को पाकिस्तान और PoJK में मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। मरकज सुब्हान अल्लाह (Markaz Subhan Allah), जो बहावलपुर में 15 एकड़ में फैला है, जैश का मुख्य प्रशिक्षण केंद्र था, जहाँ रऊफ आतंकियों की भर्ती, प्रशिक्षण, और कट्टरपंथीकरण (Radicalization) की देखरेख करता था।
रऊफ कई बड़े आतंकी हमलों में शामिल था, जिनमें शामिल हैं:
- 2001 का संसद हमला (Parliament Attack): दिल्ली में भारतीय संसद पर हमला, जिसमें 14 लोग मारे गए।
- 2016 का पठानकोट हमला (Pathankot Attack): पंजाब में वायुसेना अड्डे पर हमला।
- 2019 का पुलवामा हमला (Pulwama Attack): जम्मू-कश्मीर में CRPF के काफिले पर आत्मघाती हमला, जिसमें 40 जवान शहीद हुए।
- 2016 का नगरोटा हमला (Nagrota Attack): जम्मू में सेना के शिविर पर हमला।
रऊफ ने अहमद उमर सईद शेख की रिहाई के बाद उसे अल-कायदा (Al-Qaeda) से जोड़ा, जिसने 2002 में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल (Daniel Pearl) की हत्या की। इस तरह, रऊफ की साजिशों का दायरा भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि यह वैश्विक आतंकवाद तक फैला था।
रऊफ अजहर: वैश्विक आतंकी
रऊफ अजहर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency, NIA) और कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने मोस्ट वॉन्टेड घोषित किया था। भारत और अमेरिका ने 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन चीन ने इस पर अड़ंगा डाला। वह पाकिस्तानी सेना और ISI की शह पर बहावलपुर में जैश का संचालन करता था।
उसके खिलाफ इंटरपोल (Interpol) से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की माँग भी की गई थी। रऊफ ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जैश के लिए फंड जुटाने और आतंकियों को प्रशिक्षण देने में भी अहम भूमिका निभाई। उसका बेटा मुआज (Muaz), जो जैश की अफगानिस्तान शाखा (Afghanistan Chapter) से जुड़ा था, भी उत्तरी कश्मीर (North Kashmir) में आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने राफेल जेट्स (Rafale Jets) और SCALP मिसाइल्स (SCALP Missiles) का इस्तेमाल कर बहावलपुर के मरकज सुब्हान अल्लाह को तबाह कर दिया। इस हमले में 30 आतंकी मारे गए, और जैश का ढांचा पूरी तरह बिखर गया। मसूद अजहर ने बयान जारी कर कहा कि उनके परिवार के 10 लोग और चार सहयोगी मारे गए, लेकिन रऊफ की मौत ने जैश को सबसे बड़ा झटका दिया।
सोशल मीडिया पर इस ऑपरेशन को लेकर उत्साह है। कई यूजर्स ने लिखा, “मोदी सरकार आतंकियों का हिसाब चुकता कर रही है।” एक पोस्ट में कहा गया, “रऊफ अजहर का खात्मा IC-814 और पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि है।”
संगठन की रीढ़ टूटी, आगे क्या?
रऊफ अजहर की मौत जैश-ए-मोहम्मद के लिए बड़ा नुकसान है, क्योंकि वह संगठन का संचालन और वित्तीय आधार (Operational and Financial Backbone) था। पाकिस्तान ने हमले में 26 लोगों के मारे जाने और 46 के घायल होने का दावा किया, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। पंजाब की सूचना मंत्री आजमा बोखारी (Azma Bokhari) ने कहा कि घायलों को विक्टोरिया अस्पताल (Victoria Hospital) में भर्ती किया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर न केवल पहलगाम हमले का जवाब है, बल्कि यह पुलवामा, पठानकोट, और संसद हमले जैसे आतंकी कृत्यों का भी बदला है। यह भारत की आतंकवाद विरोधी नीति (Anti-Terrorism Policy) का हिस्सा है, जो आतंकियों और उनके समर्थकों को साफ संदेश देता है कि भारत अब चुप नहीं रहेगा।
संदेश साफ है: आतंक बर्दाश्त नहीं
रऊफ अजहर का खात्मा ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी उपलब्धि है। IC-814 हाइजैक से लेकर पुलवामा हमले तक, उसकी साजिशों ने भारत को लहूलुहान किया था। उसकी मौत न केवल जैश-ए-मोहम्मद के लिए झटका है, बल्कि यह पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों (Terror-Supporting Policies) पर भी करारा प्रहार है। भारत की यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) को मजबूत करने और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाती है।
(ये जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है)